मेहमान ना मेहमानवाजी, घरों में ही इबादत के लिए उठे हाथ : सोशल मीडिया पर सजी ईद की महफिल

कोरोना महामारी के बीच लगातार दूसरे साल ईद का त्योहार पाबंदियों के बीच मनाया जा रहा है। मस्जिदों में सामूहिक रुप से नमाज अदा करने पर रोक है। इसलिए ज्यादातर लोग ने घरों पर ही इबादत और दुआएं की है। यह त्योहार मीठी सेवइयों और एक-दूसरे गले लगने का त्योहार है। लेकिन लोग किसी के घर नहीं जा पा रहे हैं, गले लगना तो दूर की बात। ऐसे में सोशल मीडिया पर ईद की महफिल सज गई।

लोगों ने ईद से संबंधित शेर-ओ-शायरी पोस्ट करना शुरू कर दिया है। लखनऊ में चौक, अमीनाबाद, हुसैनगंज आदि स्थनों पर स्थित मस्जिदों में कोविड गाइडलाइन के मुताबिक सिर्फ 5 लोगों ने नमाज अदा की है।

दूसरा साल जब घरों में ही सिमटी रहेगी ईद की रौनके

कोरोना महामारी के चलते यह दूसरा मौका है जब घरों में ही सेवइयां बनेगी, घर वाले ही उसका स्वाद ले पाएंगे। न मेहमान आएंगे न होगी मेहमान नवाजी। ईद में लोगों के यहां एक दूसरे के घर आने-जाने और मिलने मिलाने का रिवाज होता है। लेकिन कोरोना वायरस और सोशल डिस्टेंसिंग के चलते इस बार भी ऐसा करना मुमकिन नहीं है। उलमा ने लोगों से अपील की है कि अपने-अपने घरों में रह कर ही ईद की खुशियां मनाएं, कहीं भी बाहर न निकलें।

नमाज के बाद होगी कोरोना के खात्मे की दुआ

ईद उल फित्र के मौके पर मस्जिदों और घरों में होने वाली ईद की नमाज के बाद लोग कोरोना के खात्मे की दुआएं करेंगे और जो लोग भी इस मर्ज में घिरे हुए हैं उनकी सेहत-ओ-सलामती के लिए भी दुआ की जाएगी।

15 कुंतल रोज बनती हैं सेवईंयां

बालागंज में सेवईं कारखाना मालिक अतीक ने बताया कि हर कारखाने में रोजाना औसतन 15 कुंतल सेवई तैयार की जाती हैं। जबकि दो साल पहले तक 60 कुंतल सेवई बनती थी। यहां से करीब 30 करोड़ की सेवईयां बाहर के राज्यों में सप्लाई हो जाती थी, लेकिन कोरोना कर्फ्यू के कारण इस बार माल बाहर नहीं जा सका। इसके अलावा सेवई के साथ लच्छे भी काफी बिकते थे, लेकिन इस बार लच्छे भी तैयार नहीं किया गया।

30 करोड़ रुपये का होगा नुकसान

कारोबारी अतीक ने बताया कि सेवई बनाने का काम रजमान शुरू होने से दो महीने पहले शुरू हो जाता था। यह सीजन का काम है, सिर्फ तीन महीने ही चलता है। बाकी के साथ महीनों में इतनी सेवई नहीं बनाई जाती है। सीजन में दुकानदार 25 से 30 लाख रुपए का माल तैयार करता है। कारखाने बंद रहने से करीब 30 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।

किमामी सेवई की सबसे ज्यादा मांग

डालीगंज के थोक कारोबारी इरफान ने बताया कि ईद पर सबसे अधिक मांग किमामी सेवई की होती है। लखनऊ में बनने वाली सेवई में सबसे महीन जीरो नंबर सेवई होती है, किमामी सेवई इसी से बनती है। इसके अलावा एक नंबर और दो नंबर भी आती हैं, जो दूध वाली सेवईं के लिए ज्यादा बिकती हैं। कई लोग जाफरानी सेवई को भी पसंद करते हैं। यह सबसे बारीक होती है, जो पकने के बाद मोटी नहीं होती है और किमाम में पूरी तरह घुल जाती है।

नहीं दिखी चांद रात की रौनक

2020 के बाद 2021 ऐसा दूसरा साल जब चांद रात पर पुराने लख़नऊ के ईद बाजार पूरी रात गुलजार नहीं थी। अकबरी गेट‚ नक्खास‚खदरा‚ अमीनाबाद‚ समेत कई बाजारों में रात भर भीड़ होती थी। सेवईं‚ नए कपड़े‚ सजावटी सामान लेने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ता था। मेन रोड में पैर रखने तक की जगह नहीं होती है। पूरी सड़क को बंद करना पड़ता था। लेकिन इस बार भी लॉकडाउन की वजह से सभी बाज़ार बंद है।

ईद पर गरीबों का भी रहे ख़्याल, बच्चों में दिख रही उदासी

ईद का दिन बच्चों के लिए सबसे खुशी का दिन होता है। ईद में घर पर जो भी मेहमान ईद मिलने आते हैं वो बच्चों को ईदी के तौर पर पैसे देते हैं। लेकिन इस बार भी बच्चे उदास रहेंगे। क्योंकि ईद में कोई घर पर नहीं आ सकेगा। ऐसे में बच्चो को उतनी ईदी नहीं मिल पायेगी जो मिलती थी। ईद पर हमें गरीब और जरूरतमंदों का भी ध्यान रखना चाहिए‚ जो किसी वजह से ईद नहीं मना सकते। ऐसे लोगों को अपने आसपास में तलाश कर उन्हें जरूरत का सामान जरूर बांटें। ताकि वह भी अपने परिजनों के साथ ईद मना सके।