ब्लैक फंगस रोधी इंजेक्शनों को लेकर “एक अनार, सौ बीमार” की स्थिति कायम

ब्लैक फंगस संक्रमण (म्यूकर माइकोसिस) के इलाज में प्रमुख तौर पर इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की आपूर्ति को लेकर यहां “एक अनार, सौ बीमार” की कहावत चरितार्थ हो रही है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बुधवार को शहर के 23 निजी अस्पतालों में भर्ती 218 मरीजों में इस फंगस रोधी दवा की केवल 100 खुराकें वितरित की जा सकीं, जबकी इसकी जरूरत इससे कहीं अधिक है। शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कल मंगलवार को शहर के 23 निजी अस्पतालों में भर्ती 221 मरीजों में वितरित करने के लिए एम्फोटेरिसिन-बी की केवल 50 खुराकें मिल सकी थीं।

अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (सैम्स) के छाती रोग विभाग के प्रमुख डॉ. रवि डोसी ने बताया, “आमतौर पर ब्लैक फंगस के मरीज को पहले दिन एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की चार से छह खुराकें लगती हैं, जबकि इसके अगले 10 दिनों तक इसकी तीन से चार खुराकें हर रोज लगाई जाती हैं।” शहर के एक निजी अस्पताल के एक अन्य डॉक्टर ने नाम जाहिर न किए जाने की शर्त पर बताया, “एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शनों की कमी से ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज पर स्वाभाविक रूप से बुरा असर पड़ रहा है।”

अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल शहर के चार स्टॉकिस्ट एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन मुहैया करा रहे हैं। लेकिन बड़ी मांग के मुकाबले इसकी आपूर्ति बेहद कम बनी हुई है। नतीजतन मरीजों के परेशान परिजनों को इस इंजेक्शन के लिए दवा बाजार की दुकानों के चक्कर काटते देखा जा सकता है। इनमें से कुछ लोग सोशल मीडिया पर भी मदद की गुहार लगा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, सरकारी और निजी क्षेत्र के स्थानीय अस्पतालों में ब्लैक फंगस के 350 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। इनमें इंदौर के अलावा राज्य के अन्य जिलों के मरीज शामिल हैं। ब्लैक फंगस का संक्रमण कोविड-19 से उबर रहे और स्वस्थ हो चुके लोगों में से कुछेक में मिल रहा है।