अफगानिस्‍तान के पड़ोसी देशों को तालिबान की धमकी, कहा- अमेरिकी फौज को जगह दी तो होगी बड़ी भूल

तालिबान ने अफगानिस्‍तान के पड़ोसी देशों को सीधे तौर पर धमकी दी है कि यदि उन्‍होंने अमेरिकी फौज को ऑपरेट करने के लिए अपनी जमीन के इस्‍तेमाल की इजाजत दी तो ये उनकी सबसे बड़ी गलती होगी। तालिबान ने एक बयान जारी कर अफगानिस्‍तान के सभी पड़ोसी देशों को ऐसा कोई भी फैसला न करने के लिए चेतावनी भी दी है। तालिबान ने साफ कर दिया है कि ऐसा कोई भी कदम खतरनाक हो सकता है। साथ ही तालिबान ने कहा है कि यदि ऐसा हुआ तो वो भी चुप नहीं बैठने वाले हैं।

तालिबान की तरफ से ये बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका अफगानिस्‍तान से अपनी फौज को पूरी तरह से वापस ले जाने की कवायद में जुटा है। अमेरिका पहले की ये साफ कर चुका है कि वो अमेरिका पर हुए सबसे बड़े आतंकी हमले (9/11) की बरसी से पहले सभी जवानों को वापस ले जाएगा। इसको लेकर अमेरिका लगातार अफगानिस्‍तान के सहयोगी और करीबी देशों के संपर्क में भी है। अमेरिका चाहता है कि अफगानिस्‍तान में तालिबान की मौजूदगी के बावजूद कोई ऐसा समाधान निकाला जाए जो सभी के लिए सही हो। वहीं भारत जैसे देश तालिबान की मौजूदगी को लेकर आशंकित हैं। अफगानिस्‍तान की मौजूदा सरकार भी इसको लेकर आशंकित है। वहीं अमेरिका के यहां से बाहर जाने की खबरों के बीच तालिबान अफगानिस्‍तान में एक बार फिर से अपना दायरा बढ़ा रहा है।

तालिबान का ये बयान इसलिए भी बेहद खास है क्‍योंकि हाल ही में अमेरिका ने कहा था कि पाकिस्‍तान ने उसकी फौज का बेस बनाने और उसके एयर स्‍पेस का इस्‍तेमाल करने की इजाजत दे दी है। साथ ही ये भी कहा गया था कि पाकिस्‍तान अमेरिकी फौज को ग्राउंड सपोर्ट भी करेगा। इस बयान के अलगे ही दिन पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि अमेरिका की तरफ से दिया गया ये बयान पूरी तरह से बेबुनियाद है और झूठा है। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्‍ता का कहना था कि उनकी सरकार के पास इस तरह का कोई मसौदा नहीं आया है और न ही इसको लेकर अमेरिका के साथ कोई वार्ता हो रही है।

वहीं बुधवार को ही पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने दो टूक ये बात कही थी कि पाकिस्‍तान अमेरिकी फौज को अपनी जमीन का इस्‍तेमाल करने की इजाजत किसी भी सूरत में नहीं देगा। उन्‍होंने ये भी कहा था कि पाकिस्‍तान किसी भी हाल में अमेरिका को ड्रोन हमले की भी इजाजत नहीं देगा। उन्‍होंने भी इस बात की पुष्टि की थी कि इस बारे में दोनों देशों के बीच किसी तरह की कोई वार्ता नहीं चल रही है। वहीं बुधवार को ही अमेरिका की तरफ से कहा गया था कि वो अमेरिकी मिलिट्री बेस के लिए अफगानिस्‍तान के पड़ोसी देशों के संपर्क में है। अमेरिका का कहना था कि अमेरिका ऐसा इसलिए चाहता है कि जरूरत पड़ने पर अफगानिस्‍तान की मदद की जा सके।

आपको बता दें कि पिछले सप्‍ताह अफगानिस्‍तान के मौजूदा और पूर्व राष्‍ट्रपतियों ने अपने एक इंटरव्‍यू में कहा था कि अफगानिस्‍तान की दुर्गति के पीछे पाकिस्‍तान का हाथ है। उन्‍होंने आरोप लगाया था कि पाकिस्‍तान तालिबान को हर संभव मदद देता है। उनके लड़ाके पाकिस्‍तान में ट्रेनिंग लेते हैं। उनकी भर्ती से लेकर तालिबान को होने वाली फंडिंग में पाकिस्‍तान एक अहम भूमिका निभाता है। पूर्व राष्‍ट्रपति हामिद करजई ने तो यहां तक कहा था कि पाकिस्‍तान चाहता है कि उनका देश भारत से सभी संबंध तोड़ ले और पाकिस्‍तान तालिबान के जरिए यहां पर अपना राजनीतिक और रणनीतिक प्रभाव बढ़ा ले, जो कि कभी नहीं होगा।