डिप्रेशन, दर्द के चलते स्विमिंग छोड़ने वाला था, लेकिन ‘रजनीकांत’ सर ने सिखाया- कुछ असंभव नहीं: सजन

0 212

रजनीकांत के फैन सजन प्रकाश टाइमिंग के आधार पर ओलिंपिक टिकट पाने वाले पहले भारतीय तैराक हैं। वे 17 जुलाई को टोक्यो के लिए उड़ान भरेंगे। वे बताते हैं, ‘मां शांति मोले नेशनल एथलीट थीं। इसलिए खेलकूद से मेरा परिचय बचपन से था। मां ने 5 साल की उम्र में ही स्विमिंग क्लास शुरू कर दी थी। 17 साल की उम्र में रेलवे ज्वाइन किया और बेंगलुरु शिफ्ट हो गया। यहां कोच प्रदीप कुमार मिले, जो टर्निंग प्वाइंट रहा। यहां सख्त ट्रेनिंग और अनुशासन वाले स्वीमिंग सत्रों से भागा। लेकिन उन्होंने हमें तैयार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

आज दुबई की अकवा नेशनल स्पोर्ट्स अकादमी में वही ओलिंपिक तैयारी करा रहे हैं। लेकिन मैंने इस मुकाम तक पहुंचने की आस ही छोड़ दी थी। बीते साल थाईलैंड में था। यहां कंधे और गर्दन के आसपास दर्द हुआ। स्थिति बिगड़ती गई। थाईलैंड में डॉक्टर्स और फिजिओ समस्या समझ नहीं पा रहे थे। दर्द असहनीय था। तब कोरोना भी पीक पर था और हम कमरे में बंद रहता था। धीरे-धीरे डिप्रेशन बढ़ा और स्विमिंग असंभव हो गई। पिछली जुलाई में मैंने मान लिया कि अब मुझसे तैराकी नहीं होगी और इसे छोड़ने का फैसला कर लिया।

इसी बीच स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) ने अगस्त से अक्टूबर के बीच दुबई में स्विमिंग कैंप रखा, जिसमें मेरा नाम भी था। यहां मेरी जिंदगी के रजनीकांत यानी प्रदीप सर दोबारा मिले। कैंप के बाद मैं दुबई में ही रुक गया। प्रदीप सर ने मुझे अपने घर पर रखा। यहां उनकी पत्नी ने देखभाल की। इसी की बदौलत इस साल फरवरी में लैटवियन ओपन के तीसरे दिन असहनीय दर्द के बावजूद हिस्सा लिया और जीता। प्रेरणा मिली कि कुछ भी असंभव नहीं है।

देश में एथलेटिक्स में साइंस के इस्तेमाल की जरूरत
द्रोणाचार्य अवॉर्डी प्रदीप कुमार कहते हैं, ‘देश में एथलेटिक्स व स्विमिंग में साइंस-टेक्नोलॉजी के प्रयोग की जरूरत है। हम इसमें पीछे हैं। हमें पहले दिन से अपनी प्रतिभाओं को स्पीड, प्रैक्टिस, डाइट, इंजरी जैसी साइंस से रूबरू करवाना चाहिए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.