कंगना रनौत ने गंगा में तैरती लाशों को बताया नाइजीरियन, रिटायर्ड IAS बोले- उन्नाव नाइजीरियन शहर है, अंदाज़ा नहीं था

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भारत में कोरोनावायरस महामारी से मरने वालों की संख्या कम नहीं हो रही। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर दिन करीब 4 हजार लोग कोविड संक्रमण से मर रहे हैं। बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में शवों को बहते हुए देखा गया है। खबरें ऐसी भी हैं कि नदी के किनारे रेत में लाशों को दफनाया जा रहा है। इसी बीच सोशल मीडिया पर कुछ विचलित कर देने वालीं तस्वीरें वायरल हो रही हैं जिसमें गंगा नदी में बहते हुए शवों के ऊपर चील और कौवे मंडराते दिख रहे हैं। इन तस्वीरों की जांच के बाद यह पाया गया कि ये यूपी के उन्नाव जिले की हैं और 2015 में ली गईं हैं। लेकिन बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने इन पुरानी तस्वीरों को नाइजीरिया का बता दिया जिसके बाद सोशल मीडिया पर उन्हें खूब ट्रोल किया जा रहा है।

कंगना रनौत ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा कि हमारे देश में ही कुछ ऐसे लोग हैं जो इस तरह की तस्वीरें फैलाकर देश को बदनाम कर रहे हैं। कंगना ने वीडियो में कहा, ‘जो तस्वीरें हैं जहां गंगा में लाशें तैर रहीं हैं, वो वायरल हो रही हैं, पता चला कि नाइजीरिया की हैं। ये सब यहां के लोग ही हमारी पीठ में छुरा भोंक रहे हैं।’

कंगना के नाइजीरिया वाली टिप्पणी पर उन्हें सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया जा रहा है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने भी कंगना की इस टिप्पणी पर तंज़ कसा है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘गंगा में तैरती लाशें नाइजीरिया की हैं – कंगना रनौत। उन्नाव, बलिया, कानपुर जैसे शहर नाइजीरियन हैं इसका मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था।’

 

 

कंगना ने अपने वीडियो में यह भी कहा था कि भारत की जनसंख्या ज्यादा है लेकिन फिर भी यहां लोग सेना में कम हैं। सरकार को इजराइल की तरह ही यह कंपलसरी कर देनी चाहिए कि हर युवा फौज में शामिल हो। उन्होंने कहा, ‘क्या हमें इन झूठी खबरों के लिए कुछ कदम नहीं उठाना चाहिए। मैं भारत सरकार से अपील करती हूं कि इजराइल की तरह आर्मी में सेवा करना सभी स्टूडेंट के लिए कंपलसरी कर दें।’

 

 

 

बहरहाल, सूर्य प्रताप सिंह के ट्वीट पर यूजर्स भी खूब प्रतिक्रिया दे रहे हैं। शशि शेखर नाम से एक यूजर ने लिखा, ‘यह कहकर कंगना ने उत्तर प्रदेश में नदी के किनारे मिल रही लाशों की समाधान करने की कोशिश ठीक उसी तरह से की है जैसे प्रधानमंत्री मन की बात करके देश की समस्या का समाधान करने की कोशिश करते हैं।’

संतोष नाम से एक ट्विटर यूजर लिखते हैं, ‘यूपी के 28 जिलों में गंगा बहती है। उनसे पूछो उनके नाम पता है क्या? अगर उनके आसपास भी नाइजीरिया हो तो खबर करना। और ये मानसिक दिवालियापन की शिकार हैं, उनकी बातों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।’

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