डॉ सुकान्त मजूमदार को सांसद रत्न पुरस्कार।

- शिवकुमार ‘बिलगरामी’
पश्चिम बंगाल की हिंसक और संघर्षशील राजनीति की बिसात पर एक उच्च शिक्षा प्राप्त परंतु अत्यंत ही मृदुभाषी और विनम्र डॉ. सुकांत मजूमदार के रूप मे सत्रहवीं लोक सभा मे एक नए प्रभावशाली नेता का उदय भारतीय राजनीति के लिए एक शुभ संकेत की तरह है। 1979 में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले में श्री सुशांत मजूमदार और श्रीमती निवेदिता मजूमदार के परिवार मे जन्मे डॉ. सुकांत मजूमदार बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य रहें हैं और उनकी पृष्ठभूमि संघ और राष्ट्रवाद की विचारधारा से प्रभावित रही है।
डॉ. मजूमदार पश्चिम बंगाल के बालुरघाट लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद होने के साथ ही पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। इनकी शिक्षा उत्तरी बंगाल विश्वविद्यालय और गौर बंगा विश्वविद्यालय से हुई है और 2019 में लोकसभा के लिए सांसद चुने जाने से पहले वह वनस्पति विज्ञान के सहायक आचार्य के पद पर कार्यरत थे। मजूमदार पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार के मुखर आलोचक हैं। उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार, अराजकता और हिंसा करने के लिए कई जन आंदोलनों का नेतृत्व किया है। वह सरकार पर गरीबों और मध्यम वर्ग की मदद के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने को लेकर अक्सर ही हमलावर रहें है।
सत्रहवीं लोकसभा के समापन के पश्चात, लोक सभा सचिवालय और पीआरएस लेजिस्लेटिव से प्राप्त अधतन जानकारी के अनुसार सत्रहवीं लोक सभा के सभी सांसदों के प्रदर्शन की तुलना मे उनका प्रदर्शन अत्यंत शानदार रहा है । इनका लोक सभा मे उपस्थिति रिकॉर्ड 73% है, जो राष्ट्रीय औसत 79% के आसपास और राज्य औसत 66% से अधिक है। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र सहित विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर संसदीय वाद विवाद में भाग लिया है, और यह संख्या (46) राष्ट्रीय औसत (46.1) के समकछ है। डॉ. मजूमदार ने राष्ट्रीय मुद्दों के साथ ही अपने बालुरघाट निर्वाचन क्षेत्र से संबंधित चिंताओं को सक्रिय रूप से उठाया है। उन्होंने बाढ़ नियंत्रण, रेलवे बुनियादी ढांचे के विकास और कृषि सहायता कार्यक्रमों जैसे मुद्दों को संसद मे उठाया है। हिली मे एयरपोर्ट संचालन, सहारा इंडिया घोटाला, बालुरघाट मे केन्द्रीय विश्वविद्यालय, एकलव्य विद्यालय, और सैनिक विद्यालय सहित विषयों पर सदन मे बोला है । बालुरघाट से कई नई रैलगाड़ियों को चलवाकर और बालुरघाट रेलवे स्टेशन को अमृत भारत योजना के अतर्गत विश्वस्तरीय बना कर अपनी राजनीतिक पकड़ को साबित किया है ।
डॉ. मजूमदार ने मुख्य रूप से शिक्षा और पर्यावरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए 7 निजी विधेयक भी लोक सभा मे पेश किए हैं। हालाँकि उनका भाग्य अनिर्णीत है परंतु उनका संसद मे पुनर्स्थापन उनकी राजनैतिक गंभीरता, परिपक्वता और समझ प्रदर्शित करता है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने लोकसभा में सक्रिय रूप से विभिन्न मुद्दों पर सवाल उठाए हैं, जो राष्ट्रीय औसत के साथ राज्य के औसत से काफी अधिक है। डॉ. सुकांत मजूमदार ने सर्वाधिक 655 प्रश्न पूछें हैं जो कि 17वीं लोक सभा के किसी भी सांसद द्वारा पूछे गए प्रश्नों की संख्या मे सर्वाधिक है। मजूमदार जी ने मुख्यतय: स्वास्थ्य (41), शिक्षा (33), वित्त (30), व्यापार (26), आवासन (24), गृह (23), आयुष(23), सड़क (20), महिला (20), और रेलवे मंत्रालय (21) से संबंधित प्रश्न लोक सभा मे पूछे हैं ।
मजूमदार को इस बार के संसद रत्न सम्मान के लिए फिर से चुनाव गया है। ये पुरस्कार सांसदों के गैर सरकारी विधेयक लाने, संसद में सवाल पूछने, संसदीय वाद विवाद मे प्रतिभाग आदि के आधार पर तय किया जाता है। सुकांत पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं। इस साल 5 लोकसभा सांसदों को सांसद रत्न सम्मान दिया जाएगा। सांसद सुंकात मजूमदार के साथ महाराष्ट्र के ही एकनाथ शिंदे, बीजेपी के ही सुधीर गुप्ता, एनसीपी के रामसिंग कोल्हे और कांग्रेस के कुलदीप राय शर्मा को भी ये सम्मान 17 फरवरी 2024 को राजधानी में एक समारोह में पुरस्कार दिया गया। इसके पूर्व 2022 और 2023 मे भी मजूमदार को संसद रत्न सम्मान के लिए चुना गया था और फरवरी 2023 मे उन्होंने दिल्ली के न्यू महाराष्ट्र सदन मे आयोजित समारोह मे सांसद रत्न सम्मान ग्रहण भी किया था ।
दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की सलाह पर संसद रत्न सम्मान पुरस्कार की शुरुआत की गई थी। इस पुरस्कार से वैसे सांसदों को सम्मानित किया जाता है जिनका काम संसद में बेहतरीन होता हो। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के नेतृत्व वाली ज्यूरी ने इन सांसदों का चयन किया है। ज्यूरी में भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी एस कृष्णमूर्ति भी शामिल थे।
डॉ. मजूमदार ने संगठन मे भी अपनी पकड़ को बखूबी साबित किया है और उनके कार्यकाल मे आन्तरिक गुटबाजी की घटनाओं मे काफी कमी आयी है और उनके नेतृत्व मे पिछले विधान सभा चुनाव मे पश्चिम बंगाल मे भाजपा के प्रमुख विपक्षी दल के रूप मे 70 से ज्यादा विधायक जीतने मे कामयाब रहे थे । पंचायत चुनावों मे भी भाजपा अब पश्चिम बंगाल मे दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है । डॉ. मजूमदार के प्रदर्शन पर राजनीतिक विश्लेषकों की राय अलग-अलग है। समर्थक स्थानीय मुद्दों पर उनके फोकस और लोकसभा में स्पष्ट प्रतिनिधित्व की सराहना करते हैं। डॉ. मजूमदार ने अपनी संसदीय भूमिका में समर्पण और संलग्नता के साथ अपने दायितों का निर्वहन किया है। हालाँकि, कुछ विरोधी पक्ष के लोगों का तर्क है कि उनके विधायी प्रभाव और उनके निर्वाचन क्षेत्र के ठोस परिणामों में सुधार की आवश्यकता है क्यूंकि वहाँ की तृणमूल सरकार केंद्र सरकार द्वारा कराए गए जनहित के कार्यों मे अक्सर अवरोध उत्पन्न करती रही है ।
चूँकि डॉ मजूमदार पुनः चुनाव लड़ना चाहते हैं, मतदाता संभवतः इन सभी कारकों के संयोजन के आधार पर उनके प्रदर्शन का आकलन करेंगे। मजूमदार की प्रदेश सरकार की आलोचना को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है। लोगों ने उनके साहस की सराहना की है और तो और भाजपा के शीर्ष नेत्रत्व द्वारा भी उनकी सराहना होती रही है । मजूमदार का भाजपा में भविष्य उज्ज्वल है और उन्हें पार्टी में एक उभरते सितारे के रूप में देखा जाता है, लेकिन उन्हें पश्चिम बंगाल की हिंसक राजनीति के अन्य दलों तृणमूल काँग्रेस और कम्युनिस्टों के धारदार संगठन से सावधान रहना होगा। अभी हाल ही मे मजूमदार जी संदेशखली जाते समय स्थानीय पुलिस से धक्का मुक्की के दौरान घायल भी हो गए थे ।
(लेखक पूर्व संयुक्त निदेशक, लोक सभा सचिवालय हैं)
