“एक हैं तो सेफ हैं” एकता का स्थापित सूत्र वाक्य : जयराम विप्लव 

इंडी गठबंधन की राजनीति बांटने से शुरू और काटने पर खत्म।

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट एवं प्रदेश प्रवक्ता जयराम विप्लव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का कथन “एक हैं तो सेफ हैं”, राष्ट्र की एकता का वह सूत्र वाक्य है जिससे सदियों से हमने साथ रहना सीखा है। यह न केवल ऐतिहासिक बल्कि वर्तमान परिदृश्य में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना पहले था। इतिहास में और वर्तमान में, जहां भी समाज में बंटवारे की प्रवृत्ति पैदा हुई, वहीं अस्थिरता और हिंसा ने जन्म लिया।

विप्लव ने कहा कि ‘ बंटेंगे तो कटेंगे ‘ का नारा आज चर्चा में है। इसका अर्थ भी वही है जो सबका साथ सबका विकास में है । जिन लोगों को इस सूक्ति में नफरत दिख रही है वही लोग इसके अंग्रेजी अनुवाद पर तालियां पीटते हैं। सबने अपने मां पिता से कहानी सुनी होगी कैसे एक लकड़ी को तोड़ दिया जाता है और लकड़ियों का गट्ठर पहलवान भी नहीं तोड़ पाता ।

अखंड भारत का इतिहास हमारी चेतावनी है। जहां भी समाज बंटा, वहां कटना निश्चित हुआ।

राजद या कांग्रेस वालों को इससे बेचैनी है क्योंकि इनकी राजनीति बांटने से शुरू होती है और काटने पर खत्म । कांग्रेस राज ने 10 हजार से अधिक दंगे और राजद के दर्जनों जातीय नरसंहार इसका प्रमाण है।

विप्लव ने कहा कि पूरे देश और दुनिया में जब भी एक समाज, एक संस्कृति के लोग आपस में विभाजित हुए हैं, वहां केवल लोग ही नहीं, बल्कि उनकी पूरी सभ्यता प्रभावित हुई है।

विभाजन से समाज और राष्ट्र की शक्ति कमजोर होती है। जब हम विभाजित रहते हैं, तो बाहरी ताकतों को हमें तोड़ने का अवसर मिलता है। कई ऐतिहासिक उदाहरण बताते हैं कि बंटवारा हमारी आंतरिक और बाहरी ताकतों को कमजोर करता है।

 “एकता में शक्ति है”, यह सिर्फ कहावत नहीं बल्कि हमारी सुरक्षा का आधार है। जब लोग एकजुट होते हैं, तो वे किसी भी बाहरी खतरों के सामने मज़बूत दीवार की तरह खड़े हो सकते हैं और चुनौती को टाल सकते हैं। एकता से ही समाज और राष्ट्र सुरक्षित रहते हैं।

एकजुट समाज में संसाधनों का सही और कुशल उपयोग संभव होता है। संसाधनों को आपस में साझा करके, हम उन्हें बेहतर तरीके से उपयोग कर सकते हैं और समाज के सभी वर्गों को लाभ पहुंचा सकते हैं। एकता हमें आर्थिक रूप से भी समृद्ध बनाती है।

बंटवारा आंतरिक झगड़े और असामंजस्य को जन्म देता है, जो समाज की उन्नति में बाधक है। विप्लव जी ने कहा कि जब हम एकजुट रहते हैं, तो हमारे बीच के आंतरिक संघर्ष भी समाप्त होते हैं, और शांति बनी रहती है। “सद्भाव से सहिष्णुता बढ़ती है, और संघर्ष से शांति नष्ट होती है।”

समाज में एकता के साथ सहयोग की भावना बढ़ती है, जिससे विकास कार्यों में तेजी आती है और प्रगति की राहें खुलती हैं। एकता प्रगति की कुंजी है और समाज में विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त करती है।

एक राष्ट्र, एक पहचान।

बंटेंगे नहीं, संग बढ़ेंगे ।