“बारादरी” अथवा “अंदाज़ ए बयां और” की जानिब से नई दिल्ली भव्य अंतराष्ट्रीय मुशायरा होगा: डॉक्टर उर्वशी अग्रवाल “उर्वी”

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में अंतराष्ट्रीय कवि सम्मेलन के आयोजकों द्वारा प्रेस वार्ता। अदब की प्रसिद्ध संस्था "बारादरी" और "अंदाजे बयां और" 23 फ़रवरी को सिविक सेंटर नई दिल्ली में भव्य कवि महफ़िल में दिल्ली और दुबई साथ साथ होंगे।

नई दिल्ली: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया* में आज एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता आयोजित की गई, जिसमें “अंदाज़े बयां और” एवं “अदब की बारादरी” की संस्थापक अध्यक्षा एवं प्रसिद्ध कवयित्री डॉ. माला कपूर “गौहर” और कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. उर्वशी अग्रवाल “उर्वी’” ने संयुक्त रूप से भव्य कवि सम्मेलन के आयोजन की घोषणा की।

यह कवि सम्मलेन और मुशायरा दिल्ली के सिविक सेंटर में 23 फरवरी को आयोजित किया जायेगा।

मुशायरे की तारीख़ और समय का एलान करते हुए डॉ उर्वशी अग्रवाल ने बताया कि इस कवि सम्मेलन में देश दुनिया में हिंदी और उर्दू को प्रचारित एवं प्रसारित करने में तल्लीन मुशायरों की जान, शान और कद्रदान रेहान सिद्दीकी और शाज़िया किदवई भी तशरीफ ला रही हैं।

इस मौके पर डॉ उर्वशी अग्रवाल ने अपने काव्य संग्रह “मैं शबरी राम की” कुछ दोहे पत्रकारों की फरमाइश पर सुनाए। यह खूबसूरत दोहे जर्नलिज्म टुडे के पाठकों के लिए यहां पेश किए जा रहे हैं:

“मैं शबरी हूँ राम की, चखती रहती बेर, ताकती राहें आपकी, हुई कहाँ पे देर”

कितने अचरज से भरा, शबरी का ये काम। दांतों से लिखती रही, बेरो पे राम।

सदियों का वनवास था, अब लौटें हो धाम। तुमको कैसा लग रहा बतलाओ न राम।

डॉ उर्वशी अग्रवाल ने अपने दूसरे काव्य संग्रह पांचाली के बारे में बताया कि इसको लिखने में 9 वर्ष का समय लगा है। इसको लिखने में पांचाली के किरदार को जीना पड़ा।

डॉ उर्वशी ने धार्मिक दोहों के साथ रोमांटिक गीत भी गुनगुनाया।

” मोहब्बत करने से डर गया है, ये जो मेरा मन है मर गया है।

मैं अच्छी तरह से जानती हूं, वो सिर्फ मुझे तोड़ना चाहता है।

न तो साथ ही रहना चाहता है निर्मोही और न ही मुझे छोड़ना चाहता है।

लफ्जों को सिया मैने मगर आंसू पीना भूल गई। मरी तो नहीं उससे दूर होकर मै जीना भूल गई।

कवियत्री डॉ माला कपूर ” गौहर” ने लय (तरन्नुम) में एक गीत सुनाया। ” तसव्वुर में तू है तो रौशन है दुनिया, धुआं ही धुआं है तसव्वुर से आगे।

जमीं के मसाइल जमीं पे ही सोचों

फकत आसमां है तसव्वुर से आगे

 

यहां तुझको सजदा करूं भी तो कैसे

तेरा आस्तां है तसव्वुर से आगे।

 

तसव्वुर की हद तक रहो तुम भी गौहर

बड़े इम्तिहां है तसव्वुर से आगे।

पत्रकारों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं जर्नलिज्म टुडे ग्रुप के एडिटर इन चीफ जावेद रहमानी ने मीडिया वार्ता में इस शेर के माध्यम से अपनी बात कहते हुए “आईना ही बस हमारा एक अच्छा दोस्त है, मैं रोता भी हूं तो वो हंसता नहीं है।” उन्हों ने 23 फ़रवरी 2025 को नई दिल्ली के सिविक सेंटर में भव्य अंतराष्ट्रीय कवि सम्मेलन के आयोजन पर विस्तार से बताते हुए कहा कि यह अंदाज ए बयां और एवं बारादरी के तत्वधान से पहला जश्न होगा जिस में अभी तक इसकी बड़ी संख्या में लोगों ने टिकट बुक कराया है। इस से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि दिल्ली में अदब, शायरी में युवा पीढ़ी की दिलचस्पी बढ़ रही है यह हिंदी उर्दू भाषा का मज़बूत संगम की पहचान है।

इस सम्मेलन में देश-विदेश के कई मशहूर शायर और कवि अपनी शानदार प्रस्तुतियां देंगे। इस अवसर पर दोनों कवयित्रियों ने बताया कि यह आयोजन “गंगा-जमुनी तहज़ीब” का अनूठा उदाहरण होगा, जिसमें एक ही मंच पर कवि अपनी कविताएं और शायर अपने कलाम पेश करेंगे।

इस आयोजन के जरिए हिंदी और उर्दू साहित्य को एकजुट करने का प्रयास किया जाएगा, जिससे दोनों भाषाओं की काव्य परंपरा को बढ़ावा मिलेगा।

यह सम्मेलन साहित्य प्रेमियों के लिए एक विशेष अवसर होगा, जहां वे एक ही मंच पर शायरी और काव्य की खूबसूरत जुगलबंदी का आनंद ले सकेंगे।