भारी पुलिस बल की मौजूदगी में दिल्ली डाबरी क़ब्रिस्तान में जनाज़ा दफ़न।
माननीय जज दिनेश कुमार जांगला ने कुछ घंटे पहले दिए अपने स्टे के बावजूद वक़्फ़ कमेटी के विशेष अनुरोध पर सुनवाई करके इंसानियत के लिए दफ़न की इजाज़त दी।
दिल्ली: दक्षिण पश्चिमी दिल्ली के डाबड़ी इलाके के सैंकड़ों साल पुराने वक़्फ़ क़ब्रिस्तान में आख़िरकार लम्बी क़ानूनी लड़ाई के बाद अवाम को शव दफ़न करने में कामयाबी मिल ही गई।
गौरतलब है कि क़ब्रिस्तान वेलफेयर एसोसिएशन डाबड़ी को दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड द्वारा डाबड़ी के खसरा नबंर 27/19 पर 100 साल से भी ज़्यादा पुराने मुस्लिम वक़्फ़ क़ब्रिस्तान के इंतज़ाम के लिए अधिकृत किया हुआ है। जिसपर अगले हिस्से में 800 मीटर में दफन होता रहा। परंतु आसपास की आबादी ज़्यादा होने की वजह से क़ब्रिस्तान का अगला हिस्सा भर चुका था, जब इस क़ब्रिस्तान के पिछले 4000 मीटर के बड़े हिस्से में दफ़न की कोशिश की गई तो कुछ स्थानीय असमाजिक तत्वों ने दबंगो के साथ मिलकर रोकथाम करने की कोशिश की और मिलते जुलते नाम की एक अवैध कमेटी (जिसके पास किसी भी प्रकार का मालिकाना या क़ब्रिस्तान प्रबंधन का कोई हक़ या दरतावेज़ मौजूद नहीं था।) किसी अन्य पते से रजिस्टर्ड करके 2019 में वक़्फ़ कमेटी पर मुक़दमा कर दिया।
लिहाज़ा कोर्ट केस के बारे में पता लगने पर वक़्फ़ कमेटी ने फौरन एडवोकेट रईस अहमद से संपर्क किया और तुरन्त कोर्ट में पैरवी शुरू करवाई। जहां तीन तारीखों में ही एडवोकेट रईस अहमद कोर्ट से विपक्षी कमेटी के उस मुक़दमे को ख़ारिज कराने में कामयाब हुए और कैवियट भी कोर्ट में फ़ाइल कर दी। जिसके बाद 2022 में उक्त असमाजिक तत्वों के अवैध रोकथाम के विरुद्ध दफ़न की इजाज़त के लिए एक सिविल मुक़दमा द्वारका कोर्ट में फ़ाइल किया। जिसपर 31 जुलाई 2025 को माननीय सिविल जज चित्रांशी अरोड़ा की कोर्ट ने लंबी बहस के बाद अन्तरिम आदेश पारित कर दफ़न की इजाज़त दे दी।
लेकिन दूसरे पक्ष ने 6 अगस्त को डिस्ट्रिक्ट जज दिनेश कुमार जांगला की कोर्ट में अपील फ़ाइल कर लंच के बाद 2 बजे एक्स पार्टी (बिना अन्य पक्ष को सुने) अंतरिम स्टे ले लिया। जिसके बारे में किसी को कुछ मालूम नहीं था। परन्तु सुबह से ही इस क़ब्रिस्तान में एक जनाज़ा दफ़न करने की कार्यवाही जारी थी, जैसे ही स्टे हुआ फ़ौरन दूसरे पक्ष ने 3 बजे पुलिस बल के साथ पहुचकर जनाज़ा दफ़नाने से रोक दिया।
जैसे ही ये बात वक़्फ़ कमेटी को मालूम चली, तुरन्त उन्होंने अपने वकील रईस अहमद से संपर्क किया। जोकि सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए रास्ते में थे, वो तुरन्त द्वारका कोर्ट पहुचकर अपने साथी वकील शिव कुमार चौहान के साथ कोर्ट पहुचे तो जज साहब सीट से उठ चुके थे। हालात की गंभीरता के चलते उन्होंने विशेष अनुरोध किया। जिसके बाद जज साहब दोबारा कोर्ट में आये और सुनवाई की और दफ़न से संबंधित कागज़ लेकर आने को कहा और कोर्ट का वक़्त ख़त्म होने ही वाला था लेकिन माननीय न्यायाधीश ने आश्वासन दिया कि वह इंतज़ार कर रहे हैं। इधर क़ब्रिस्तान में सैकड़ों की तादाद में मौजूद लोगों में बेचैनी बढ़ती जा रही थी, भारी पुलिस बल की मौजूदगी ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया। पर समय होने के बाद भी इंसानियत के नाते हालात की गंभीरता को देखते हुए माननीय जज दिनेश कुमार जांगला ने कुछ घंटे पहले दिए अपने स्टे के बावजूद वक़्फ़ कमेटी के विशेष अनुरोध पर सुनवाई करके इंसानियत के लिए दफ़न की इजाज़त दे दी।
जिसके बाद एडवोकेट रईस फ़ोरन दस्ती आर्डर के साथ क़ब्रिस्तान पहुँचे जहां लोगों में तनाव, मायूसी और रोष दिखाई दे रहा था। अडिशनल एसएचओ खुद मौके पर मौजूद थे जिन्होंने कोर्ट के आर्डर को देखकर जनाज़ा दफ़न करने की इजाज़त दे दी।
इस गंभीर स्थिति में मुस्लिम समुदाय के साथ अन्य धर्मों के लोग भी अदालत के इस महान इंसाफ को देखने के लिए मौजूद थे। जिसमें समाज सेवी विपुल मिश्रा, वीरेंदर बेनीवाल, रंजीत भारती, राजेश, सतीश विष्ठ के साथ कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद इक़बाल, उपाध्यक्ष अहमद अली, महासचिव अजीजुर्रहमान व मोहम्मद सुल्तान, महफूज़, अनवर, सुहैल खान, ज़हीर खान, रफीक, डॉ इक़रार व अन्य सदस्य भी मौजूद रहे, और इस कामयाबी के लिए पूरी लीगल टीम खासतौर से एडवोकेट एन सी शर्मा, असलम अहमद, शिव कुमार चौहान व रईस अहमद का आभार व्यक्त किया और इसे न्याय की जीत बताया।