“ईशोपनिषद में वैश्विक कल्याण की अवधारणा” पर गोष्ठी सम्पन्न

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दिल्ली : [मामेंद्र कुमार ] केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में “ईशोपनिषद में वैश्विक कल्याण की अवधारणा” विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल में 241वां वेबिनार था। वैदिक विद्वान डॉ रामचन्द्र (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय) ने कहा कि उपनिषद भारतीय ऋषियों की विश्व को बहुमूल्य देन है।देश विदेश के करोड़ों लोगों ने इस साहित्य से प्रेरणा एवं मार्गदर्शन प्राप्त किया है।ईशोपनिषद् कुल 18 मंत्रों का बहुत छोटा सा ग्रंथ है,पर इसे ज्ञान एवं अध्यात्म का महासागर कहना अतिशयोक्ति नहीं है।संसार के कण-कण में ईश्वर के वास होने का प्रथम उल्लेख इसी उपनिषद में प्राप्त होता है।ईश्वर सब जगह पर व्याप्त है और इसीलिए व्यक्ति को किसी के भी धन का लालच नहीं करना चाहिए और त्याग पूर्वक उपभोग करना चाहिए।यह इस उपनिषद् का मूल मंत्र है जिसे अपनाकर संपूर्ण विश्व में आपसी सद्भाव एवं प्रेम की स्थापना की जा सकती है।निष्काम कर्म पर जोर देते हुए इसमें भौतिक विज्ञान एवं आध्यात्मिक ज्ञान, प्रकृति एवं पुरुष,कर्म एवं ज्ञान तथा विनाश एवं उत्पत्ति के समन्वय पर जोर दिया गया है। वर्तमान भौतिकतावादी युग में सुख – समृद्धि बढ रही है पर व्यक्ति का जीवन पहले से अधिक तनाव ग्रस्त एवं चिन्ता पूर्ण हो गया है। ईशोपनिषद् के दिव्य मन्त्रों का अध्ययन एवं आचरण इस अन्धकार को दूर करके आनन्द एवं उल्लास पूर्ण मार्ग को प्रशस्त करता है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि व्यक्ति संसार में रहकर भी निर्लेप जीवन जिये।कर्मशील मनुष्य सदैव लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। मुख्य अतिथि नरेश खन्ना ने महर्षि दयानंद के मानव जाति पर उपकारों की चर्चा की।अध्यक्षता करते हुए आचार्य हरिओम शास्त्री ने कहा कि उपनिषदों का अध्ययन करके हम कर्मशील बन सकते हैं। परिषद के राष्ट्रीय मंत्री प्रवीण आर्य ने कहा कि उपनिषद ईश्वर के कण कण में होने को सुनिश्चित करते हैं। गायिका डॉ रचना चावला,मर्दुल अग्रवाल,जनक अरोड़ा,संध्या पाण्डे,रविन्द्र गुप्ता,वीरेन्द्र आहूजा,विजय लक्ष्मी आर्या आदि ने भजन प्रस्तुत किये। प्रमुख रूप से सर्वश्री डॉ रमा शर्मा,आचार्य वागीश जी,आचार्य आनन्द पुरुषार्थी,सुरेश आर्य, महेन्द्र भाई,सौरभ गुप्ता,रामकृष्ण शास्त्री,अनिता रेलन,उर्मिला आर्या,कमलेश हसीजा आदि उपस्थित थे।

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