एक परिचय:- जनाब एजाज़ अन्सारी साहब।

एजाज़ अन्सारी उस शख़्सियत का नाम है। जिसे उर्दू अदब का बड़ा पुरोधा माना जाता है। देश के नामचीन शायरों में आप का मुक्कमल स्थान है। आप की उपस्थिति मुशायरों एवं कवि सम्मेलनों की कामयाबी की गारंटी मानी जाती है। आपने हिन्दुस्तान के बड़े मंचों पर अपने कुशल संचालन की छाप छोड़ी है।
शिक्षा जगत में पूर्व प्रधानाचार्य की हैसियत से आप की सेवाएं महात्वपूण रही हैं। आपकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। “तन्हा नहीं हूं मैं” तथा “सारे गुलाब तेरे” आप के चर्चित ग़ज़ल संग्रह हैं। एजाज़ साहब को अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। जिनमें ग़ालिब अवार्ड, कैफ़ मुरादाबादी अवार्ड,मुजाहिदे उर्दू अवार्ड, उर्दू, पोयट्री अवार्ड, तथा मुम्बई में रज़ा मुराद साहब द्वारा टाप ट्वेंटी अवार्ड काबिले ज़ीक्र है़ं।इस के अलावा दुबाई का अवार्ड उनकी शख़्सियत में चार चांद लगाता है । उनका संग्रह’ तन्हा नहीं हूं में’ को उर्दू एकेडमी दिल्ली तथा बिहार उर्दू एकेडमी द्वारा पुरस्कृत किया गया।ऑल इंडिया रेडियो, दूरदर्शन,ज़ी सलाम ,और टीवी केअनेक चैनलों पर आप की ग़ज़लों तथा संचालन का प्रसारण होता रहता है।
आप के लफ़्ज़ो का जादू आपके ख़ास अन्दाज़े बयां के कारण श्रोताओं के दिल पर ख़ास असर करता है। आप की कामयाबी तथा सलामती की नेक दुआ उस परवरदिगार से करते हैं। बहुत ज़्यादा न कहते हुए बस इतना ही कहेंगे।
प्रशंसा में आपकी क्या कहें श्री मान ।
आप तो बस आप हैं और आप हैं महान।
(लेखक नरेन्द्र सिंह “नीहार” शिक्षाविद एवं साहित्यकार हैं)
