भारत समेत 56 देशों में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर अमेरिका चिंतित; सूडान, उजबेक्सितान और तुर्कमेनिस्तान में सुधरे हालात

अमेरिका ने बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता 2020 (International Religious Freedom Report 2020) रिपोर्ट जारी की है। USCIRF ने रिपोर्ट में दुनियाभर के 200 देशों और उनके क्षेत्रों में धार्मिक स्वतंत्रता की समीक्षा को आधार बनाया। साथ ही भारत समेत 56 देशों में अल्पसंख्यकों से हो रहे भेदभाव पर चिंता जाहिर की। इसके अलावा सूडान, उजबेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर हालात सुधाऱने को सकारात्मक कदम बताया।

इस रिपोर्ट में सरकारों की नीतियों को भी शामिल किया, जिनमें किसी भी तरह की धार्मिक आस्था और धार्मिक संप्रदायों, व्यक्तियों के अधिकारों का उल्लंघन होता है। साथ ही धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी नीतियों को भी शामिल किया गया।’ US के स्टेट डिपार्टमेंट ने यह रिपोर्ट इंटरनेशनल रिलिजियस फ्रीडम एक्ट ऑफ 1998 के तहत जारी की।

ब्लिंकन बोले- मानव अधिकारों के सम्मान के बिना धार्मिक स्वतंत्रता अधूरी

  • अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटोनी ब्लिंकन ने एक प्रेस में कॉन्फ्रेंस में रिपोर्ट की जानकारी देते हुए कहा,’ मानव अधिकारों के सम्मान के बिना धार्मिक स्वतंत्रता को पूरी तरह से महसूस नहीं किया जा सकता है और जब सरकारें अपने लोगों के स्वतंत्र रूप से विश्वास और पूजा करने के अधिकार का उल्लंघन करती है, तो यह सभी लोगों को खतरे में डाल देता है।’
  • उन्होंने कहा, ‘धार्मिक स्वतंत्रता एक खुले विचार वाले और स्थिर समाज का प्रमुख आधार है। इसके बिना लोग अपने देश की सफलता में पूर्ण तौर पर योगदान देने में सक्षम नहीं होते हैं। जब भी मानव अधिकारों को नकारा जाता है, तो तनाव का कारण बनता है। यही विभाजन को जन्म देता है। ब्लिंकन ने प्यू रिसर्च रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दुनिया में अभी 56 देशों में अधिकांश लोग इस तरह के अधिकार से वंचित हैं।’